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संख्याएँ: प्राकृत संख्याएँ, पूर्ण संख्याएँ, परिमेय संख्याएँ, अपरिमेय संख्याएँ, वास्तविक संख्याएँ, समिश्र संख्याएँ

 संख्याओं का वर्गीकरण:

गणित में संख्याओं को विभिन्न समूहों में बांटा गया है, जिनमें से कुछ प्रमुख निम्नलिखित हैं:

1. प्राकृत संख्याएँ (Natural Numbers):

  • गिनती में प्रयोग होने वाली संख्याएँ: 1, 2, 3, 4, 5,....

  • इन्हें धनात्मक पूर्णांक भी कहते हैं।

  • इनका उपयोग वस्तुओं को गिनने, क्रम दर्शाने और क्रमित करने के लिए किया जाता है।

2. पूर्ण संख्याएँ (Whole Numbers):

  • सभी प्राकृत संख्याएँ और शून्य (0) मिलकर पूर्ण संख्याएँ बनाते हैं: 0, 1, 2, 3, 4, ....

  • ये संख्याएँ ऋणात्मक नहीं होती हैं।

  • इनका उपयोग मात्रा, दूरी, समय आदि को मापने के लिए किया जाता है।

3. पूर्णांक (Integers):

  • सभी पूर्ण संख्याएँ, उनके ऋणात्मक मान और शून्य (0): ..., -3, -2, -1, 0, 1, 2, 3,...

  • पूर्णांकों में दशमलव या भिन्न नहीं होते हैं।

  • तापमान, ऊँचाई और गहराई को मापने के लिए उपयोगी होते हैं।

4. परिमेय संख्याएँ (Rational Numbers):

  • वे संख्याएँ जिन्हें p/q के रूप में व्यक्त किया जा सकता है, जहाँ p और q पूर्णांक हैं और q शून्य के बराबर नहीं है।

  • उदाहरण: 1/2, 3/4, -5/7, 0.25 (क्योंकि इसे 1/4 लिखा जा सकता है)।

  • परिमेय संख्याओं में सांत या असांत आवर्ती दशमलव प्रसार होता है।

5. अपरिमेय संख्याएँ (Irrational Numbers):

  • वे संख्याएँ जिन्हें p/q के रूप में व्यक्त नहीं किया जा सकता है, जहाँ p और q पूर्णांक हैं।

  • इनका दशमलव प्रसार असांत और अनावर्ती होता है।

  • प्रसिद्ध उदाहरण: √2 (वर्गमूल 2), π (पाई)।

6. वास्तविक संख्याएँ (Real Numbers):

  • सभी परिमेय और अपरिमेय संख्याएँ मिलकर वास्तविक संख्याएँ बनाती हैं।

  • वास्तविक संख्याओं का उपयोग वास्तविक दुनिया की मापों और गणनाओं को दर्शाने के लिए किया जाता है।

7. सम्मिश्र संख्याएँ (Complex Numbers):

  • a + bi के रूप में व्यक्त की जाने वाली संख्याएँ, जहाँ a और b वास्तविक संख्याएँ हैं और i काल्पनिक इकाई है (i² = -1)।

  • सम्मिश्र संख्याओं का उपयोग गणित, भौतिकी और इंजीनियरिंग में होता है, खासकर तरंगों, विद्युत परिपथों और क्वांटम यांत्रिकी के अध्ययन में।

संख्या रेखा:

  • वास्तविक संख्याओं को एक रेखा पर दर्शाया जा सकता है जिसे संख्या रेखा कहते हैं।

  • संख्या रेखा पर शून्य (0) केंद्र में होता है, और धनात्मक संख्याएँ दाईं ओर और ऋणात्मक संख्याएँ बाईं ओर होती हैं।

यह संख्याओं का एक संक्षिप्त वर्गीकरण था। ध्यान रहे कि ये समूह एक दूसरे से जुड़े हुए हैं:

  • सभी प्राकृत संख्याएँ पूर्ण संख्याएँ होती हैं।

  • सभी पूर्ण संख्याएँ पूर्णांक होती हैं।

  • सभी पूर्णांक परिमेय संख्याएँ होती हैं।

  • सभी परिमेय और अपरिमेय संख्याएँ मिलकर वास्तविक संख्याएँ बनाती हैं।

  • वास्तविक संख्याएँ, सम्मिश्र संख्याओं का एक उपसमूह हैं।

यहाँ संख्याओं की विभिन्न श्रेणियों की जानकारी टेबल फॉर्मेट में दी गई है:

संख्याएँ: प्राकृत संख्याएँ, पूर्ण संख्याएँ, परिमेय संख्याएँ, अपरिमेय संख्याएँ, वास्तविक संख्याएँ, समिश्र संख्याएँ

संख्या श्रेणीपरिभाषाउदाहरणविशेषताएँ
प्राकृत संख्याएँवे संख्याएँ जो 1, 2, 3, ... से शुरू होती हैं और केवल सकारात्मक पूर्णांक होती हैं।1, 2, 3, 4, 5सकारात्मक पूर्णांक, शून्य शामिल नहीं
पूर्ण संख्याएँवे संख्याएँ जो प्राकृत संख्याएँ, उनके नकारात्मक रूप, और शून्य शामिल करती हैं।-3, -2, -1, 0, 1, 2, 3सकारात्मक, नकारात्मक पूर्णांक और शून्य शामिल
परिमेय संख्याएँवे संख्याएँ जो दो पूर्णांकों के अनुपात के रूप में व्यक्त की जा सकती हैं।1/2, -3/4, 5दशमलव के रूप में समाप्त होने वाली या दोहराने वाली संख्याएँ
अपरिमेय संख्याएँवे संख्याएँ जो दो पूर्णांकों के अनुपात के रूप में नहीं व्यक्त की जा सकतीं और दशमलव के रूप में निरंतर और अव्यक्त होती हैं।√2, π, eदशमलव का कोई अंत नहीं, और न कोई दोहराव
वास्तविक संख्याएँवे संख्याएँ जो सभी परिमेय और अपरिमेय संख्याओं को शामिल करती हैं और किसी भी बिंदु पर मौजूद होती हैं।1.5, -3, √2, πसभी संख्याएँ जो संख्या रेखा पर स्थित हैं
समिश्र संख्याएँवे संख्याएँ जो वास्तविक और काल्पनिक भागों का संयोजन होती हैं।3 + 4i, -2 - 5iवास्तविक और काल्पनिक भाग होते हैं

यह टेबल संख्याओं की प्रमुख श्रेणियों के बारे में संक्षिप्त और स्पष्ट जानकारी प्रदान करता है, जिसमें उनकी परिभाषा, उदाहरण, और विशेषताएँ शामिल हैं।

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